सुप्रीम कोर्ट में होगी अब ऑनलाइन गेमिंग कानून की अंतिम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में होगी अब ऑनलाइन गेमिंग कानून की अंतिम सुनवाई

नई दिल्ली | 9 सितम्बर 2025: देश में ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को ‘ऑनलाइन गेमिंग (प्रोमोशन एंड रेगुलेशन) अधिनियम, 2025’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित कर ली हैं। यह याचिकाएं दिल्ली, कर्नाटक और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालयों में दायर की गई थीं।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारडीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की उस याचिका को स्वीकार किया, जिसमें कहा गया था कि विभिन्न न्यायालयों में एक ही विषय पर अलग-अलग मुकदमे चलने से विधिक अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह इन सभी मामलों को अपने अधीन ले ताकि एक समान और अंतिम निर्णय लिया जा सके।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित उच्च न्यायालयें एक सप्ताह के भीतर सभी याचिकाओं के रिकॉर्ड और उनके साथ दायर अंतरिम आवेदन सुप्रीम कोर्ट को भेजें। इसके बाद, इन मामलों को सुप्रीम कोर्ट की नियमित सूची में जल्द से जल्द शामिल किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता चाहें तो समस्त रिकॉर्ड के साथ नई रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।

गौरतलब है कि संसद के हालिया मानसून सत्र में केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025’ को लोकसभा में पेश किया था, जिसे महज 7 मिनट में पास कर दिया गया। इसके अगले ही दिन, राज्यसभा ने भी मात्र 26 मिनट में इस बिल को मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह कानून प्रभावी हो गया।

नए अधिनियम के तहत देश में सभी प्रकार के रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही, जो कंपनियां इन सेवाओं को प्रदान करेंगी, उन पर ₹1 करोड़ तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल हो सकती है। ऐसे प्लेटफार्मों का प्रचार या विज्ञापन करने वालों पर भी ₹50 लाख तक का जुर्माना और दो साल की सजा का प्रावधान है।

इस अधिनियम के लागू होते ही Dream11, PokerBazi, RummyCircle जैसे प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों ने अपने रियल मनी गेमिंग ऑपरेशन्स बंद कर दिए हैं। इससे देश के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में भारी हलचल मच गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को समाज को ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के दुष्प्रभावों से बचाने वाला ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह कानून युवाओं को भटकाव से बचाकर उन्हें सही दिशा देने का कार्य करेगा।

हालांकि, इस अधिनियम को लेकर विरोध भी सामने आ रहा है। कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और खिलाड़ियों का कहना है कि इस कानून से कौशल आधारित गेम्स जैसे रम्मी और पोकर, जिन्हें पहले न्यायपालिका ने वैध माना था, वे भी प्रभावित हो रहे हैं। इसी को लेकर कर्नाटक, दिल्ली और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं।

अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी मामलों को अपने अधीन ले लिया है, तो आने वाले दिनों में यह तय होगा कि यह अधिनियम संविधान की कसौटी पर कितना खरा उतरता है। ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े लाखों युवाओं, स्टार्टअप्स और कंपनियों की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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