उत्तर प्रदेश ,कानपुर में रात ढाई बजे साबरमती ट्रेन जैसे ही पटरी से उतरी और धड़-धड़ की जोर की आवाज हुई तो यात्रियों को कलेजा कांप उठा। ऊपर की सीट पर सो रहीं महिलाएं और बच्चे नीचे आ गिरे, जिसने भी बाहर झांककर देखा तो घने अंधेरे के बीच सिर्फ धुंआ ही धुंआ दिखाई दे रहा था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ट्रेन पटरी से उतरी है कि कोई बोगी पलटी है।

चारों ओर चीख-पुकार और हर कोई अपनी जान बचाने के लिए सामान छोड़कर गेट से कूदने में लग गया। कुछ देर बाद जब धुंआ छटा और यात्रियों को पता लगा कि सिर्फ बोगियां पटरी से उतरी हैं, किसी की जान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, तब बिना किसी मदद के दोबारा लोग बोगियों में घुसे और अपना अपना सामान लेकर फिर से बाहर आकर मदद का इंतजार करने लगे।

परिवार के साथ अयोध्या से सूरत जा रहे संदीप तिवारी ने बताया कि सभी लोग सो रहे थे, तभी जोर की आवाज के बाद पूरी बोगी में चीखपुकार मच गई। लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए किसी तरह बोगी से उतरे। बस यह समझिए कि भगवान ने जान बचा ली।

एसी कोच में सो रहीं इंदौर निवासी प्रीति श्रीवास्तव अहमदाबाद जाने के लिए ट्रेन पर सवार थीं। बताया कि आवाज इतनी जोर की थी कि लगा कोई बोगी जरूर पलट गई है, बाहर आकर देखा तो बोगी बेपटरी हो चुकी थी। वह गेट से सीधे गिट्टियों पर ही कूद पड़ी थीं।

अहमदाबाद निवासी प्रीति सिंह का कहना है कि आवाज से यह तो लगा कि बोगी पटरी से उतरी है, लेकिन रेलवे की ओर से कोई कुछ बताने वाला नहीं था। कैसे हम लोग बोगी से कैसे नीचे उतरे हैं, हम ही जानते हैं। घबराई महिलाएं व बच्चों को चीखता देखना भी आसान नहीं था।