मुंबई:  ठेले और फेरीवालों के लिए ज़रूरी निवास प्रमाणपत्र अब दलालों के जरिए खुलेआम बेचे जा रहे हैं। मुंबई के कुर्ला और मुलुंड पश्चिम में तहसील कार्यालयों के बाहर कुछ एजेंट बिना किसी वैध दस्तावेज़ के यह सरकारी प्रमाणपत्र 4,000 से 20,000 रुपये तक में बेच रहे हैं। जबकि कानूनी प्रक्रिया में इसे प्राप्त करने में 1-2 महीने तक का समय लगता है।

कैसे होता है यह फर्जीवाड़ा?

‘मिड-डे’ के अंडरकवर रिपोर्टर्स ने जब एक एजेंट से संपर्क किया तो उसने बताया कि अगर कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ गायब हो, तो वह इसे 10,000 से 12,000 रुपये में बनवा सकता है। एजेंट ने दावा किया, "हमारे अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं, सब मैनेज हो जाएगा।"

मुंबई में ठेलेवालों को व्यापार करने के लिए इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। वे इसे सरकारी योजनाओं, कर्ज़, और व्यापार लाइसेंस के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन चूंकि कई ठेलेवाले महाराष्ट्र के निवासी नहीं हैं या उनके पास निवास का प्रमाण नहीं है, वे अवैध रूप से एजेंटों से इसे खरीद रहे हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया

कुर्ला-मुलुंड के तहसीलदार दिलीप रायन्नावर ने कहा, "हमें फर्जी एजेंटों की शिकायतें मिलती हैं, और हम तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी देते हैं।" वहीं, पुलिस अधिकारी विजयकांत सागर का कहना है कि अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मुंबई ठेलेवाला यूनियन के अध्यक्ष शशांक राव ने कहा कि एजेंट ठेलेवालों को ठग रहे हैं। उनका संगठन सरकार से निवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता हटाने की मांग कर रहा है, ताकि ठेलेवालों को अवैध तरीकों का सहारा न लेना पड़े।

महत्वपूर्ण तथ्य:

✔ 4,000 से 20,000 रुपये तक में फर्जी प्रमाणपत्र उपलब्ध
✔ वैध तरीके से प्रमाणपत्र की सरकारी फीस मात्र ₹50
✔ सरकारी प्रक्रिया में लगते हैं 7-15 दिन
✔ एजेंट कहते हैं, "चाय-पानी खिला देते हैं, सब हो जाएगा!"