आईआरसीटीसी ने बंद किए 2.5 करोड़ से अधिक यूज़र आईडी, रेलवे टिकट बुकिंग में धांधली पर लगाम

आईआरसीटीसी ने बंद किए 2.5 करोड़ से अधिक यूज़र आईडी, रेलवे टिकट बुकिंग में धांधली पर लगाम

नई दिल्ली, 26 जुलाई: भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग प्रणाली में भारी गड़बड़ी और एजेंटों व बॉट्स द्वारा हो रहे दुरुपयोग को देखते हुए, इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (IRCTC) की 2.5 करोड़ से अधिक यूज़र आईडी को निष्क्रिय कर दिया है। यह जानकारी संसद में एक लिखित जवाब में दी गई, जो सांसद ए.डी. सिंह द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में सामने आई।

रेलवे ने उन्नत डेटा एनालिटिक्स के ज़रिए टिकटों की बुकिंग में असामान्य गतिविधियां दर्ज कीं, जैसे कि टिकट कुछ ही मिनटों में गायब हो जाना, एजेंटों द्वारा कई फर्जी आईडी से बुकिंग करना और स्वचालित बॉट्स का इस्तेमाल। इन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ये कड़ा कदम उठाया गया है।

एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया, "मेरी IRCTC आईडी जो आधार और परिवार की जानकारी से जुड़ी थी, हैक हो गई। कोई मदद नहीं मिली। क्या नागरिकों का डेटा मज़ाक बन चुका है? कई लोग इसी तरह की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं है। शर्मनाक है।"

पैसेंजर्स को राहत देने के लिए रेलवे ने उठाए कई कदम:

रेलवे ने टिकट बुकिंग को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कई नई योजनाएं और बदलाव लागू किए हैं:

  • अब रिज़र्व टिकट 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर ऑनलाइन और पीआरएस काउंटरों पर बुक किए जा सकते हैं। वर्तमान में लगभग 89% टिकट ऑनलाइन बुक किए जा रहे हैं।

  • 1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट केवल आधार सत्यापित यूज़र्स ही IRCTC वेबसाइट या ऐप से बुक कर सकेंगे।

  • एजेंटों को तत्काल बुकिंग शुरू होने के पहले 30 मिनट तक टिकट बुक करने की अनुमति नहीं होगी।

  • प्रतीक्षा सूची की स्थिति पर नियमित निगरानी रखी जा रही है और मांग को ध्यान में रखते हुए विशेष ट्रेनें चलाई जाती हैं तथा ट्रेनों में अतिरिक्त डिब्बे जोड़े जाते हैं।

  • रेलवे ने 'विकल्प योजना' (Alternate Train Accommodation Scheme - VIKALP) और अपग्रेडेशन योजना जैसी पहलें शुरू की हैं, ताकि प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल सके और सीटों का पूरा उपयोग सुनिश्चित हो सके।

सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने, टिकट बुकिंग में पारदर्शिता लाने और आम यात्रियों को प्राथमिकता देने के लिए आधार आधारित सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है। रेलवे का यह कदम न केवल एजेंटों के दखल को सीमित करेगा बल्कि आम यात्रियों को भी राहत देगा जो अक्सर कन्फर्म टिकट न मिलने से परेशान रहते हैं।

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