इलाहाबाद : माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले जोड़ों को बिना खतरे के नहीं मिलेगा पुलिस संरक्षण: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद : माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले जोड़ों को बिना खतरे के नहीं मिलेगा पुलिस संरक्षण: इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा कि माता-पिता की मर्जी के खिलाफ अपनी मर्जी से शादी करने वाले जोड़े यदि अपनी जान या स्वतंत्रता को लेकर किसी असल खतरे का प्रमाण नहीं दे पाते, तो उन्हें पुलिस संरक्षण की मांग करने का अधिकार नहीं है।

यह फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकल पीठ ने श‍्रेया केसारवानी और उनके पति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। दंपती ने अपने रिश्तेदारों द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न किए जाने की बात कहते हुए सुरक्षा की मांग की थी।

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं के जीवन या स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार के खतरे का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। आदेश में कहा गया, “यह भी नहीं दर्शाया गया है कि प्रतिवादीगण याचिकाकर्ताओं को किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक क्षति पहुंचा सकते हैं।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दंपती ने न तो पुलिस से कोई शिकायत की थी और न ही किसी एफआईआर के लिए आग्रह किया।

हर प्रेम-विवाह करने वाले जोड़े को नहीं मिलेगा संरक्षण: कोर्ट

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 'लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य' मामले का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय हर ऐसे जोड़े को संरक्षण नहीं दे सकता जो भागकर विवाह करता है। अदालत ने टिप्पणी की, “ऐसे मामलों में संरक्षण आदेश पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।”

हालांकि, कोर्ट ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा चित्रकूट जिले के पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है, और यदि भविष्य में किसी प्रकार का वास्तविक खतरा सामने आता है, तो पुलिस कानून के अनुसार कार्रवाई करने की जिम्मेदार होगी।

कोर्ट ने अंत में यह याचिका 4 अप्रैल को खारिज कर दी।

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