नई दिल्ली, 9 जून :देश में ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को ‘डार्क पैटर्न्स’ जैसे भ्रामक डिज़ाइन तत्वों को हटाने का सख्त निर्देश दिया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अब डिजिटल मंचों पर उपभोक्ताओं को भ्रमित करने या अनजाने में भुगतान या सब्सक्रिप्शन के लिए मजबूर करने वाले तरीके बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

डार्क पैटर्न्स वे डिज़ाइन तकनीकें हैं जिनका इस्तेमाल उपभोक्ताओं को गुमराह करने, अनचाही सेवाएं लेने या गलत निर्णय लेने के लिए किया जाता है। जैसे—"सीमित समय ऑफर", "अभी नहीं लिया तो मौका चूक जाओगे", "छूट खत्म होने वाली है", फेक रिव्यू आदि।

सरकार ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को ऐसे भ्रामक डिज़ाइन तत्वों को अपनी वेबसाइट और मोबाइल एप्स से 90 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया है। इस समयावधि में कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म को उपभोक्ता-अनुकूल, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए जरूरी बदलाव करने होंगे।

कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शंकर ठक्कर ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कैट लंबे समय से इन अनैतिक ऑनलाइन व्यापारिक तरीकों के खिलाफ संघर्ष कर रही है और सरकार को लगातार इस बारे में अवगत कराती रही है। ठक्कर ने कहा कि सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम भारत के करोड़ों उपभोक्ताओं को ई-कॉमर्स के मायाजाल से बचाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ऐसे 13 ‘डार्क पैटर्न्स’ की सूची जारी की है जिन पर अब प्रतिबंध रहेगा। इनमें ग्राहक की अनुमति के बिना सेवा का स्वतः सब्सक्रिप्शन, झूठे रिव्यू, डिस्काउंट का झांसा, और अनावश्यक पॉप-अप्स शामिल हैं।यह कदम उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता और जागरूकता के साथ ऑनलाइन खरीदारी का अनुभव देगा। सरकार का यह प्रयास डिजिटल बाजार को नैतिक और उपभोक्ता हितों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।