नई दिल्ली : खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण और बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार वनस्पति तेल उत्पादों के लिए नया विनियमन आदेश अधिसूचित करने की तैयारी में है। केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामले मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार, 24 जुलाई को भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ द्वारा आयोजित गोलमेज बैठक में इस आशय की जानकारी दी।

जोशी ने खाद्य तेल उद्योग से कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में की गई कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की अपील की और कहा कि उपभोक्ताओं को खुदरा बाजार में भी कीमतों में कमी का लाभ महसूस होना चाहिए। साथ ही, उन्होंने उद्योग से तकनीक आधारित कृषि, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर जोर देने की अपील की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उद्योग को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और कृषक उत्पादक संगठनों के साथ मिलकर सटीक कृषि, फसल प्रबंधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि तिलहन की उच्च उपज वाली किस्मों को बढ़ावा देने और कटाई के बाद मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

उन्होंने बताया कि भारत में तिलहन उत्पादन में पिछले एक दशक में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है — 2014-15 में 275 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 397 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इसी अवधि में प्रति हेक्टेयर उपज 1,075 किलोग्राम से बढ़कर 1,314 किलोग्राम हुई है।

बैठक में खाद्य सचिव संजय चोपड़ा ने बताया कि सरकार “वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता विनियमन आदेश 2025” लाने की तैयारी में है, जो वर्ष 2011 के आदेश की जगह लेगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश अंतिम चरण में है और संभवतः अगले सप्ताह अधिसूचित कर दिया जाएगा।

बैठक में उपस्थित अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शंकर ठक्कर ने छोटे उत्पादकों एवं थोक विक्रेताओं को इस आदेश के दायरे से बाहर रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारी पहले ही कई तरह के लाइसेंसिंग व नियामकीय प्रक्रियाओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में नया कानून उनके लिए अतिरिक्त बोझ साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "Ease of Doing Business" के विजन के विपरीत होगा।

ठक्कर ने सरकार से अपील की कि छोटे व्यापारियों और उत्पादकों को संरक्षण दिया जाए, ताकि वे कारोबार में टिके रह सकें और देश की खाद्य तेल आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनी रहे।