धोबी घाट विवाद: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एसआरए जमीन विवाद में कपड़े सुखाने के स्थान का निरीक्षण करने का आदेश दिया

मुंबई, 28 जुलाई : दक्षिण मुंबई स्थित ऐतिहासिक धोबी घाट और एक स्लम पुनर्विकास परियोजना को लेकर चल रहे विवाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। न्यायालय ने एक अदालत-अधिकारी को धोबियों को अस्थायी रूप से आवंटित कपड़े सुखाने के स्थल का संयुक्त निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।
यह विवाद श्री साईबाबा नगर एसआरए सीएचएस नामक प्रस्तावित पुनर्विकास परियोजना से जुड़ा है, जो कुल 28,156.32 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसमें से 7,724.61 वर्ग मीटर क्षेत्र कपड़े सुखाने के लिए आरक्षित है, जो अब विवाद का मुख्य कारण बन गया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह स्थान 19वीं सदी से धोबियों और रस्सी धारकों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने 21 जुलाई को सुनवाई के दौरान कहा, “इस मामले में आगे बढ़ने से पहले पूरी और सही जानकारी अदालत के समक्ष रखी जानी चाहिए।” अदालत ने प्रोटोनोटरी और सीनियर मास्टर से एक अदालत अधिकारी नियुक्त करने का अनुरोध किया है, जो याचिकाकर्ताओं को दिए गए अस्थायी स्थल का निरीक्षण कर उसकी स्वच्छता, उपयुक्तता और उपयोगिता पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। यह रिपोर्ट 4 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में प्रस्तुत की जाएगी।
यह याचिका धोबी अनिल कनोजिया और लालजी कनोजिया द्वारा दायर की गई है, जिसमें स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) और डेवेलपर रेज़ोनेंट रियल्टर्स प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. (पूर्व में ओंकार रियल्टर्स) के खिलाफ निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 7,724.61 वर्ग मीटर में फैले कपड़े सुखाने के पारंपरिक स्थल को एसआरए योजना में बिना उचित सहमति के मिला दिया गया।
धोबियों का कहना है कि 730 धोबियों में से केवल 264 ने ही विकास योजना के लिए सहमति दी थी, जबकि बाकी नाम या तो फर्जी थे या काल्पनिक। याचिका में कहा गया है कि यह स्थान न तो स्लम क्षेत्र है और न ही अव्यवस्थित, इसलिए इसे डीसीआर 33(10) के अंतर्गत विकसित नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कई राहतें मांगी हैं — जैसे की विकासकर्ता के पत्र इरादतन (Letter of Intent) से कपड़े सुखाने के स्थल को बाहर किया जाए, पारंपरिक पत्थर के वाशिंग प्लेटफॉर्म के पास समान खुले स्थान को चिह्नित किया जाए, और अस्थायी स्थान के लिए मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा, उन्होंने मांग की है कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक विकासकर्ता को अस्थायी परिसर से उन्हें बेदखल करने से रोका जाए।
यह मामला अब 4 अगस्त को फिर से बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
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