9 अगस्त को रक्षाबंधन और 'भारत छोड़ो आंदोलन' की वर्षगांठ का अद्वितीय संगम, व्यापारियों को 17,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद

9 अगस्त को रक्षाबंधन और 'भारत छोड़ो आंदोलन' की वर्षगांठ का अद्वितीय संगम, व्यापारियों को 17,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद

नई दिल्ली, 12 जुलाई 2025: इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को देश एक अद्वितीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संगम का साक्षी बनेगा, जब रक्षाबंधन जैसे पवित्र पारिवारिक त्योहार और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ एक ही दिन पर पड़ रही है। इस विशेष अवसर को ध्यान में रखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इसे "राष्ट्रभक्ति राखी उत्सव" के रूप में मनाने का आह्वान किया है।

कैट के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शंकर ठक्कर ने बताया कि देशभर के व्यापारी वर्ग ने राखी की बिक्री हेतु व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। अनुमान है कि इस वर्ष राखी के पर्व पर लगभग ₹17,000 करोड़ रुपये का व्यापार होगा, जिसमें से महाराष्ट्र में ही ₹850 करोड़ से अधिक का कारोबार होने की उम्मीद है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि महिला उद्यमी इस बार देश की तीनों सेनाओं के जवानों को राखियां भेजकर उन्हें सम्मानित करेंगी। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह को विशेष रूप से सैनिकों के लिए राखियों की खेप सौंपी जाएगी।

रक्षाबंधन इस बार सुबह से दोपहर 1:38 बजे तक मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा क्योंकि यह समय भद्रा रहित और श्रवण नक्षत्र युक्त है, ऐसा ज्योतिषाचार्य श्री दुर्गेश तारे ने बताया।

इस वर्ष बाजारों में इको-फ्रेंडली, ‘वोकल फॉर लोकल’, तिरंगा थीम, कस्टमाइज फोटो राखी, क्यूआर कोड वीडियो संदेश वाली राखी और भारत की क्षेत्रीय कला और शिल्प पर आधारित विशेष राखियों की भारी मांग है। छत्तीसगढ़ की कोसा, कलकत्ता की जूट, नागपुर की खादी, पुणे की बीज, वाराणसी की बनारसी और बिहार की मधुबनी राखियां प्रमुख आकर्षण हैं।

मिठाइयाँ, ड्राई फ्रूट्स, गिफ्ट हैम्पर्स, पूजा सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन आदि क्षेत्रों में भी ₹4,000 करोड़ के अतिरिक्त व्यापार की संभावना है। चीन निर्मित राखियों की मांग इस वर्ष भी नगण्य है। ऑनलाइन बिक्री केवल 7% रहने की संभावना है, जबकि 93% व्यापार स्थानीय बाजारों में होगा।

कैट के अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने बताया कि 2018 में जहां राखी व्यापार ₹3,000 करोड़ था, वहीं यह अब ₹17,000 करोड़ तक पहुंच गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि देश में त्यौहारों को लेकर उत्साह और भारतीय उत्पादों के प्रति झुकाव लगातार बढ़ रहा है।

श्री शंकर ठक्कर ने कहा, "यह रक्षाबंधन न केवल प्रेम का त्योहार होगा, बल्कि देशभक्ति, आत्मनिर्भर भारत और व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक बनेगा।"

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