ठाणे : भिवंडी में गुमशुदा बच्चों की संख्या में इज़ाफ़ा, 142 मामलों में 95 लड़कियाँ शामिल

ठाणे : भिवंडी में गुमशुदा बच्चों की संख्या में इज़ाफ़ा, 142 मामलों में 95 लड़कियाँ शामिल

भिवंडी: भिवंडी शहर में गुमशुदा बच्चों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय निवासियों और प्रशासन में चिंता का माहौल है। पिछले छह महीनों में कुल 142 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिनमें 47 लड़के और 95 लड़कियाँ शामिल हैं। पुलिस ने कड़ी मेहनत कर अब तक 126 बच्चों को ढूंढकर उनके परिवारों से मिला दिया है।

इस बढ़ते संकट ने पुलिस प्रशासन के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। पुलिस ने लापता मामलों को अपहरण के तौर पर दर्ज किया और तकनीकी उपकरणों व सीसीटीवी फुटेज की सहायता से बच्चों की खोज की। जांच में सामने आया कि अधिकतर बच्चे घरेलू विवाद, झूठे प्रेम संबंध और पढ़ाई का दबाव जैसी समस्याओं के चलते घर छोड़ देते हैं।

विशेष रूप से लड़कियों के मामलों में, कई को प्रेमजाल में फंसा कर अन्य राज्यों में ले जाया गया, जहां से पुलिस ने अन्य राज्यों की मदद से उन्हें बरामद किया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार, लापता मामलों को अपहरण की श्रेणी में दर्ज करने से आंकड़ों की सटीकता बढ़ी है और समस्या की गंभीरता उजागर हुई है।

भिवंडी के पुलिस थानों में विशेष टीमों का गठन किया गया है जो गुमशुदा बच्चों के मामलों की जांच में लगी हैं। इन टीमों ने करीब 90% मामलों में सफलता हासिल की है। बरामद बच्चों को परिवार से मिलाने से पहले परामर्श (काउंसलिंग) दी जाती है, ताकि वे मानसिक रूप से तैयार हो सकें। कई मामलों में यौन शोषण व शारीरिक प्रताड़ना की घटनाएं भी सामने आईं, जिनमें POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।

हाल ही में नारपोली इलाके की एक 14 वर्षीय लड़की के अपहरण ने इस समस्या को फिर उजागर किया। पीड़िता की मां ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. विजय टेली ने कहा कि माता-पिता को डिजिटल युग में बच्चों के साथ संवाद बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि अच्छा पारिवारिक माहौल, भावनात्मक सहयोग और मित्रवत व्यवहार बच्चों को गुमराह होने से रोक सकता है।

भविष्य में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए समाज, पुलिस और माता-पिता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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