नालासोपारा, महाराष्ट्र:  प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नालासोपारा के अग्रवाल नगर में अवैध रूप से बनी 41 इमारतों के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और भूमि हड़पने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जनवरी में इन इमारतों को तोड़ दिया गया था, जिससे करीब 2,500 परिवार बेघर हो गए थे। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र में पुनर्वास की चर्चा हुई थी।

ED ने हाल ही में अजय शर्मा को पूछताछ के लिए बुलाया, जिन्होंने जून 2023 में इस घोटाले को लेकर Achole पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई थी। FIR में पूर्व वसई-विरार नगर निगम (VVCMC) के पार्षद सिताराम गुप्ता, उनके भाई अरुण गुप्ता और कई अन्य पर 60 एकड़ सरकारी और निजी जमीन पर कब्जा कर उसे जाली दस्तावेजों के जरिए बिल्डरों को बेचने का आरोप लगाया गया था।

FIR के मुताबिक, आरोपियों ने जमीन का फर्जी स्वामित्व दिखाकर ₹500-1000 करोड़ की संपत्ति बेची। जांच में वसई-विरार नगर निगम (VVCMC) के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

शर्मा ने बताया कि 2008 में जब उन्होंने अपने मालिकों की 10 एकड़ जमीन का निरीक्षण किया, तो पाया कि Prime Property Developers वहां अवैध निर्माण कर रहे थे। विरोध करने पर उन्हें धमकाया गया और मारपीट भी की गई। उन्होंने 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की, जिसके बाद कोर्ट ने अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी बाद में इमारतों को अवैध करार देते हुए ध्वस्त करने का निर्देश दिया।

सितंबर 2023 में, आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सिताराम गुप्ता को गिरफ्तार किया था, क्योंकि उन्होंने VVCMC और CIDCO के नाम पर फर्जी कंप्लीशन सर्टिफिकेट तैयार किया था। ED अब इस पूरे घोटाले से जुड़े वित्तीय लेन-देन की भी जांच कर रही है।