अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं! 5 अगस्त को मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के सामने पेश होने का समन

अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं! 5 अगस्त को मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के सामने पेश होने का समन

मुंबई/नई दिल्ली 2025 : रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 17,000 करोड़ रुपये के कथित लोन फ्रॉड मामले में अब उन्हें पूछताछ के लिए समन भेजा है। उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया गया है।

पिछले हफ्ते, ईडी ने मुंबई में रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन की जांच की गई।

टीवी9 की रिपोर्ट के अनुसार, यह जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर आगे बढ़ी है। सेबी ने रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (R Infra) द्वारा करीब 10,000 करोड़ रुपये की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों का खुलासा किया है।

सेबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि R Infra ने CLE प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक अज्ञात कंपनी के माध्यम से बड़े पैमाने पर इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट्स (ICDs) रूट किए। CLE, जो मुंबई के सांताक्रुज़ में स्थित है, रिलायंस एडीए ग्रुप से जुड़े ईमेल डोमेन का उपयोग करने वाले व्यक्तियों द्वारा संचालित की जा रही थी, और इसके निदेशक व कर्मचारी सीधे रिलायंस से जुड़े पाए गए।

मार्च 2022 तक, R Infra ने CLE में करीब 8,302 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो कि 2013 से 2023 के बीच कंपनी की कुल संपत्तियों का 25 से 90 प्रतिशत तक रहा।

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि मार्च 2019 तक अनिल अंबानी की R Infra में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय निर्णयों में उनकी अहम भूमिका रही है। सेबी ने इस मामले में संभावित खुलासे की चूक और वित्तीय संबंधों के गलत प्रस्तुतीकरण की ओर इशारा किया है।

इस बीच, रिलायंस ग्रुप के करीबी एक व्यक्ति ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि कंपनी ने फरवरी में ही सेबी को अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया था और सेबी की रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है। उन्होंने दावा किया कि R Infra का वास्तविक जोखिम 6,500 करोड़ रुपये है, न कि 10,000 करोड़ रुपये। साथ ही, इस धन की वसूली की प्रक्रिया एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में चल रही है।

अब इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ED), राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA), और दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) को आगे की स्वतंत्र जांच के लिए सौंप दिया गया है।

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