मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने स्लम निवासियों की पात्रता निर्धारण प्रक्रिया को स्वचालित करने का निर्णय लिया है, जिससे स्लम पुनर्वास परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी मिल सकेगी। इस कदम से स्लम पुनर्वास में तेजी आएगी, और निवासियों को मुफ्त आवास प्राप्त करने के लिए जरूरी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो जाएगी।

स्लम निवासियों की पात्रता का निर्धारण एक महत्वपूर्ण और जटिल प्रक्रिया रही है, जो स्लम पुनर्वास परियोजनाओं के अनुमोदन से पहले पूरी की जाती है। राज्य सरकार की नीति के तहत, पात्र स्लम मालिकों को मुफ्त आवास प्रदान किया जाता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न दस्तावेजों की जांच की जाती है, जैसे बिजली बिल, मतदाता कार्ड, आधार कार्ड, विक्रय पत्र, और नागरिक निकाय से जारी गुमास्ता लाइसेंस। इन दस्तावेजों की जांच में समय की खपत और कई बार हेर-फेर की शिकायतें रही हैं।

राज्य आवास विभाग द्वारा जारी आदेश (GR) में कहा गया है कि अब इस समय लेने वाली प्रक्रिया को गति देने के लिए स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) ने जीआईएस मैपिंग और बायोमेट्रिक सर्वेक्षण का सहारा लिया है। इस तकनीक से अब दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया स्वचालित हो गई है।

राज्य सरकार ने SRA, MHADA, MMRDA, और BMC को निर्देश दिया है कि वे इस स्वचालित प्रक्रिया का उपयोग करके Annexure II जारी करें। इससे न केवल प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

राज्य सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि कोई अधिकारी पुरानी मैन्युअल प्रक्रिया के तहत Annexure II जारी करता है, तो उसे पुरानी प्रक्रिया के खर्च के बराबर वेतन में कटौती का सामना करना पड़ेगा। इस आदेश में अधिकारियों को प्रक्रिया के पालन में किसी भी विफलता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने की भी चेतावनी दी गई है।

इस स्वचालित प्रक्रिया के लागू होने से स्लम पुनर्वास परियोजनाओं में गति आएगी और पात्र स्लम निवासियों को जल्दी आवास मिल सकेगा। यह कदम न केवल स्लम पुनर्वास में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि इसके जरिए मुंबई जैसे बड़े शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए बेहतर जीवन की संभावना भी बढ़ेगी।

यह सुधार निश्चित रूप से स्लम पुनर्वास योजनाओं को एक नई दिशा देगा और सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में कुशलता लाएगा।