मुंबई: एसआरए ने कार्पस फंड में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा, डेवलपर्स को प्रति टेनमेंट ₹3 लाख तक चुकाने पड़ सकते हैं

मुंबई में झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं के तहत बनाए जा रहे रिहैबिलिटेशन टॉवर्स के लिए अब डेवलपर्स को ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है। स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) ने कार्पस फंड में भारी वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। यह फंड उन इमारतों के रखरखाव और सुरक्षा उपायों के लिए होता है, जिनमें पुनर्विकसित झुग्गियों के निवासी पहले दस वर्षों तक नि:शुल्क रहते हैं।
फिलहाल, डेवलपर्स को प्रत्येक टेनमेंट पर ₹40,000 की राशि जमा करनी होती है, लेकिन अब SRA ने प्रस्ताव दिया है कि इमारत की ऊंचाई के आधार पर यह राशि ₹1 लाख से ₹3 लाख तक हो सकती है। 70 मीटर तक की इमारतों के लिए ₹1 लाख, 70 से 120 मीटर तक की इमारतों के लिए ₹2 लाख और 120 मीटर से अधिक ऊंची इमारतों के लिए ₹3 लाख प्रति टेनमेंट फंड के रूप में प्रस्तावित किए गए हैं।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब मुंबई में अधिकतर झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाएं ऊंची इमारतों के रूप में विकसित हो रही हैं। पहले की तुलना में अब लिफ्ट, अग्निशमन व्यवस्था, अतिरिक्त सीढ़ियों और इमारतों के लंबे समय तक रखरखाव पर खर्च काफी बढ़ गया है। SRA अधिकारियों का कहना है कि जब पुनर्विकास की इमारतें केवल सात मंजिल तक सीमित थीं, तब ₹40,000 की राशि पर्याप्त थी। लेकिन अब की परिस्थितियों में, खासकर ऊंची इमारतों में, यह राशि अपर्याप्त है।
अक्सर देखा गया है कि झुग्गी पुनर्वास में रहने वाले निवासी रखरखाव शुल्क देने में असमर्थ रहते हैं, जिससे इमारतें जल्दी जर्जर हो जाती हैं। ऐसे में बढ़ा हुआ कार्पस फंड यह सुनिश्चित करेगा कि इमारतें सुरक्षित और अच्छी हालत में बनी रहें, भले ही निवासी खुद से रखरखाव खर्च वहन न कर सकें।
इस प्रस्ताव के लिए नियमों में संशोधन जरूरी है, जिसे केवल राज्य सरकार ही कर सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए 22 सितंबर को एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें जनता से इस प्रस्ताव पर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं।
एसआरए के अधिकारियों का मानना है कि यह कदम पुनर्विकसित रिहायशी परिसरों की दीर्घकालिक सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित करेगा, और परियोजनाओं में डेवलपर्स की भूमिका को और अधिक जिम्मेदार बनाएगा।
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