नई दिल्ली, 10 अगस्त 2025 :  भारत में डिजिटल पहचान की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने 200 करोड़ आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शनों का रिकॉर्ड पूरा कर लिया है। यह आंकड़ा केवल 6 महीनों में 100 करोड़ से दोगुना होकर 200 करोड़ पहुंचा है, जिसकी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोमवार को दी।

फेस ऑथेंटिकेशन की रफ्तार बेहद तेज रही है। साल 2024 के मध्य तक 50 करोड़ लेन-देन पूरे हुए थे। जनवरी 2025 में यह आंकड़ा 100 करोड़ तक पहुंचा, और अब अगस्त 2025 में यह 200 करोड़ का मील का पत्थर पार कर गया है।

आधार फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से नागरिक बिना किसी दस्तावेज के, कहीं भी, कभी भी, पूरी तरह से सुरक्षित और संपर्करहित (contactless) तरीके से अपनी पहचान सत्यापित कर सकते हैं। यह सुविधा विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है।

UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार ने कहा, “200 करोड़ ट्रांजैक्शन तक इतनी तेज़ी से पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि देश की जनता और सेवा प्रदाता आधार की सुरक्षित, समावेशी और नवोन्मेषी पहचान प्रणाली पर कितना भरोसा करते हैं। यह देश की डिजिटल क्षमताओं और आधार के स्केलेबिलिटी की मिसाल है।”

उन्होंने आगे कहा, “UIDAI देश के हर कोने—गांवों से महानगरों तक—सरकारों, बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर इस तकनीक को सफल बना रहा है। हमारा उद्देश्य है हर भारतीय को तत्काल, सुरक्षित और सहज पहचान की शक्ति देना।”

यह मील का पत्थर सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि भारत कैसे समावेशी तकनीक के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विभाजनों को पाट रहा है। फेस ऑथेंटिकेशन जैसे नवाचार ‘डिजिटल इंडिया’ के दृष्टिकोण को मूर्त रूप दे रहे हैं—एक ऐसा भारत जो ज्ञान आधारित डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने कहा, “यह उपलब्धि दिखाती है कि जब तकनीक को समावेशी दृष्टिकोण से अपनाया जाए और उसे स्केल किया जाए, तो वह नागरिकों को सशक्त बनाकर देश को एक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी डिजिटल भविष्य की ओर ले जा सकती है।”