पेट्रोल पंप मालिक हत्याकांड: ड्राइवर के लालच ने लिया जानलेवा मोड़, नेपाल से बुलाए दोस्तों के साथ की हत्या
उल्हासनगर के प्रतिष्ठित पेट्रोल पंप मालिक रामचंद्र गुरमुखदास ककरानी की हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस घटना ने शहर को हिलाकर रख दिया है। पेट्रोल पंप मालिक का कत्ल उनके ही ड्राइवर ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर किया, जो नेपाल से बुलाए गए थे। हत्या का मुख्य कारण था लालच, जो रामचंद्र के महंगे गहनों और घड़ी को देखकर ड्राइवर मुकेश गोवर्धनदास खूबचंदानी के मन में पनपा।
मुकेश, जो हाल ही में रामचंद्र के यहां ड्राइवर के रूप में काम करने लगा था, उसने एक दिन अपने मालिक की उंगली में महंगी अंगूठी और हाथ में कीमती घड़ी देखी। जब उसने पेट्रोल पंप के एक मैनेजर से इनकी कीमत पूछी, तो पता चला कि घड़ी की कीमत 40 लाख रुपये और अंगूठी की कीमत 30 लाख रुपये है। यह जानकर मुकेश के मन में लालच पनपने लगा। रामचंद्र के साथ काम करते हुए, उसने देखा कि वह रोजाना अपने पेट्रोल पंप से नकद राशि एकत्रित करते थे। इसी लालच के वशीभूत होकर मुकेश ने नेपाल से अपने पुराने दोस्त अनिल मल्लाह और एक अन्य व्यक्ति को मुंबई बुलाया।
25 अगस्त को ड्राइवर मुकेश ने अपने मालिक रामचंद्र को उल्हासनगर से विरार के पेट्रोल पंप पर लाया। वहां से पैसे लेने के बाद, वह कार को वज्रेश्वरी रोड, पारोल की ओर ले गया, जहां उसके दोनों दोस्त कार में चढ़ गए। कार के अंदर आते ही, एक आरोपी ने रामचंद्र से उनकी अंगूठी उतारने को कहा। रामचंद्र ने इसका विरोध किया और आरोपी को थप्पड़ मार दिया। इससे गुस्साए आरोपियों ने तुरंत रूमाल से उनकी नाक और मुंह दबा दिया, जिससे उनका दम घुट गया और उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने रामचंद्र की अंगूठी, घड़ी, और कार में रखा सारा नकद लूट लिया।
"कत्ल के बाद की रंगीन रातें: सेक्स वर्कर को भी दिया गया लूटा हुआ माल"
हत्या के बाद, आरोपी कार को वहीं छोड़कर भाग निकले। वे विरार फाटा से ऑटो लेकर अहमदाबाद पहुँचे, और फिर दाहोद, इंदौर, झांसी, कानपुर होते हुए गोरखपुर पहुंचे। रास्ते में उन्होंने कुछ होटलों में ठहराव किया और सेक्स वर्कर्स के साथ रंगीन रातें बिताईं। इतना ही नहीं, उन्होंने लूट की रकम का कुछ हिस्सा सेक्स वर्कर्स को भी दिया। आरोपी इस बात से बेफिक्र थे कि वह कभी पकड़े नहीं जाएंगे।
वसई-विरार पुलिस ने इस मामले में पूरी तत्परता दिखाई। मुकेश के बंद मोबाइल नंबर की CDR की मदद से पुलिस ने उसके संपर्कों का पता लगाया। जांच के दौरान, एक नंबर संदिग्ध लगा जो नेपाल से संबंधित था। इस आशंका के चलते कि आरोपी नेपाल भाग सकते हैं, पुलिस ने यूपी एसटीएफ को अलर्ट कर दिया। इसके बाद, एक जॉइंट ऑपरेशन में पुलिस ने गोरखपुर से मुकेश और अनिल को गिरफ्तार कर लिया। तीसरे आरोपी की तलाश अभी भी जारी है।
रामचंद्र ककरानी के यहां मुकेश को केवल पांच महीने पहले ही ड्राइवर की नौकरी मिली थी। मुकेश का एक पुराना दोस्त रामचंद्र की बिल्डिंग में काम करता था। बेरोजगार होने के कारण, मुकेश ने उससे मदद मांगी और इसी तरह उसे रामचंद्र के पास नौकरी मिली। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह व्यक्ति, जिसे मालिक ने काम दिया, वही उनकी जान ले लेगा।
इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस हद तक लालच इंसान को अंधा बना सकता है। यह सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि विश्वास का टूटना और मानवीय मूल्यों का पतन है। पुलिस की मुस्तैदी और तेजी से कार्रवाई के कारण दो आरोपी पकड़ में आ गए, लेकिन तीसरे आरोपी की गिरफ्तारी और इस घटना के पीछे के सभी पहलुओं का खुलासा अभी भी बाकी है।
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