मुंबई, 19 मई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक संभावित जलसंकट की ओर बढ़ रही है। शहर को पानी सप्लाई करने वाली सात प्रमुख झीलों में अब केवल 18% जल भंडार बचा है, जो लगभग 60 दिनों तक ही चल सकेगा। यह स्थिति नागरिकों और अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।

मुंबई को रोजाना लगभग 3,950 मिलियन लीटर पानी सात प्रमुख जलाशयों से प्राप्त होता है: मोदक सागर, तानसा, अपर वैतरणा, मिडल वैतरणा, तुलसी, विहार और भातसा। इनमें से तुलसी और विहार मुंबई शहर के भीतर स्थित हैं, जबकि बाकी झीलें ठाणे, पालघर और नासिक जिलों में हैं।

BMC के अनुसार, हाल के वर्षों में मुंबई में तेज़ी से हुए शहरीकरण और औद्योगिक विकास के चलते पानी की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। विशेष रूप से चार प्रमुख झीलों — तानसा, मिडल वैतरणा, अपर वैतरणा और भातसा — में जलस्तर 20% से नीचे गिर चुका है। इसके जवाब में, BMC ने राज्य सरकार से विशेष अनुमति प्राप्त कर अपर वैतरणा और भातसा की आरक्षित जल भंडार (1.81 लाख मिलियन लीटर) से अतिरिक्त पानी खींचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

BMC के अधिकारियों का अनुमान है कि वर्तमान में उपलब्ध जल भंडार जुलाई के अंत तक के लिए पर्याप्त है। हालांकि, गर्मी के कारण वाष्पीकरण की दर में तेज़ी आई है, जिससे जलाशयों में पानी की मात्रा तेजी से घट रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, हर 1% जल भंडार औसतन 3 दिन तक चलता है।


मुंबई में मानसून आमतौर पर 15 जून के आसपास पहुंचता है, और इस बार इसके थोड़ा पहले आने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, झीलों के जलग्रहण क्षेत्र — जो कि पालघर, ठाणे और नासिक में स्थित हैं — वहां मध्यम से भारी बारिश जुलाई के मध्य तक ही होती है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है।


BMC ने नागरिकों से पानी का जिम्मेदार उपयोग करने की अपील की है। आने वाले हफ्तों में जल संरक्षण, रिसाइकलिंग और जरूरत अनुसार पानी का इस्तेमाल करना आवश्यक होगा ताकि संभावित जल संकट को टाला जा सके।

इस स्थिति ने प्रशासन और नागरिकों दोनों को सतर्क कर दिया है, और अब निगाहें मानसून की बारिश पर टिकी हैं जो इस जल संकट से राहत दिला सकती है।