महाराष्ट्र में हिंदी थोपने का कोई सवाल नहीं, मराठी रहेगी अनिवार्य: उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का स्पष्टीकरण

मुंबई : राज्य में स्कूली पाठ्यक्रम को लेकर चल रही बहस के बीच उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को हटाकर हिंदी थोपने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा पहले की तरह ही अनिवार्य रहेगी और छात्रों को तीन भाषाएं सीखने का अवसर दिया जा रहा है।
यह बयान हाल ही में राज्य शैक्षणिक संशोधन और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार किए गए राष्ट्रीय शालेय पाठ्यक्रम आराखड़ा 2024 को लेकर उठे विवादों के बाद आया है। नए शैक्षणिक आराखड़े के अनुसार पहली से पाँचवीं कक्षा तक तीन भाषाओं को पढ़ाने की सिफारिश की गई है, जिनमें से दो भारतीय भाषाएं होना अनिवार्य है।
फडणवीस ने स्पष्ट करते हुए कहा, "मराठी को अनिवार्य रखा गया है। दूसरी भारतीय भाषा कोई भी हो सकती है — हिंदी, तमिल, मल्यालम, गुजराती आदि। तीसरी भाषा के रूप में स्कूलों में हिंदी को केवल इसलिए प्रस्तावित किया गया है क्योंकि उसके लिए शिक्षकों और संसाधनों की उपलब्धता पहले से है। अन्य भाषाओं के लिए संसाधन सीमित हैं।"
उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल हिंदी के बजाय कोई अन्य भाषा पढ़ाना चाहता है, और कम से कम 20 विद्यार्थी उस भाषा को चुनते हैं, तो वह भाषा भी पढ़ाई जा सकती है। "20 से कम छात्रों की स्थिति में उस भाषा की ऑनलाइन या विशेष व्यवस्था करनी होगी। सीमावर्ती इलाकों में द्विभाषिक शिक्षा पहले से प्रचलित है," फडणवीस ने कहा।
उन्होंने इस मुद्दे पर गहराई से सोचने की ज़रूरत जताई और कहा, "मुझे आश्चर्य होता है कि हम हिंदी जैसी भारतीय भाषा का विरोध करते हैं, लेकिन अंग्रेजी की प्रशंसा करते हैं। अंग्रेजी को हम कंधे पर बिठाकर घूमते हैं, और भारतीय भाषाओं से दूरी बनाते हैं। हमें इस मानसिकता पर विचार करना चाहिए।"
फडणवीस ने जोर देकर कहा कि हिंदी थोपने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है, और महाराष्ट्र में मराठी भाषा ही अनिवार्य रहेगी।
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