मुंबई में समय से पहले शुरू हुआ E20 पेट्रोल: प्रदूषण में कमी और जेब पर असर, जानिए क्या है इसका पूरा असर

मुंबई में समय से पहले शुरू हुआ E20 पेट्रोल: प्रदूषण में कमी और जेब पर असर, जानिए क्या है इसका पूरा असर

मुंबई: देशभर में 2030 तक लागू किए जाने की योजना थी, लेकिन मुंबई में अब E20 पेट्रोल की शुरुआत पहले ही कर दी गई है। यह नया ईंधन 80% पारंपरिक पेट्रोल और 20% एथेनॉल का मिश्रण है, जिसे अब शहर के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जा चुका है। इस बदलाव का सीधा असर न सिर्फ पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि आम नागरिकों की जेब और उनके वाहनों की हालत पर भी दिखाई देगा।

भारत सरकार की यह पहल कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने और वाहनों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन को घटाने के उद्देश्य से की गई है। एथेनॉल, जो मुख्य रूप से गन्ना, मक्का या अधिशेष अनाज से तैयार होता है, को एक कम कार्बन ईंधन माना जाता है क्योंकि इसे जलाने से जो CO₂ निकलती है, वह पहले ही पौधों द्वारा अवशोषित की जा चुकी होती है। इस कारण E20 पेट्रोल को पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में कहीं अधिक स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल माना जा रहा है।

मुंबई जैसे महानगर में जहां लाखों रजिस्टर्ड वाहन रोज़ाना सड़कों पर उतरते हैं और जहां ट्रैफिक की भीषण समस्या tailpipe emission यानी वाहनों की निकास गैसों को और गंभीर बना देती है, वहां E20 पेट्रोल एक राहतभरा कदम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह नया ईंधन धीरे-धीरे शहर की हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, इसके परिणाम तुरंत नहीं दिखेंगे क्योंकि अभी भी बड़ी संख्या में पुराने वाहन सड़कों पर मौजूद हैं, जो इस ईंधन के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

नई तकनीक से लैस, E20-संगत वाहनों के लिए यह बदलाव सुविधाजनक रहेगा। कुछ वाहन मालिकों को बेहतर माइलेज या प्रदर्शन में सुधार जैसे लाभ भी मिल सकते हैं। लेकिन दूसरी ओर, पुराने मॉडल के वाहन, जो इस मिश्रण के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं, उन्हें ईंधन दक्षता में गिरावट, इंजन में घिसावट, और मेंटेनेन्स लागत में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मुंबई के कई मैकेनिकों ने बताया कि ग्राहक पहले से ही यह पूछताछ कर रहे हैं कि क्या उनके वाहन को E20 के अनुकूल बनाने के लिए कोई खास परिवर्तन आवश्यक है।

भारत सरकार की इस रणनीति का एक और बड़ा उद्देश्य देश की आर्थिक मजबूती से जुड़ा है। हर साल भारत को कच्चे तेल के आयात पर करीब 130 अरब डॉलर (1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक) खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में अगर घरेलू स्तर पर उत्पादित एथेनॉल की मांग बढ़ेगी, तो इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि गन्ना उत्पादक राज्यों विशेष रूप से महाराष्ट्र के पश्चिम और मध्य जिलों में किसानों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है। किसानों के लिए यह अतिरिक्त आय का एक नया स्रोत बन सकता है।

मुंबई में BPCL, IOCL जैसे ईंधन प्रदाता अब E20 पेट्रोल को मौजूदा पेट्रोल के साथ ही वितरित कर रहे हैं। फिलहाल, इसकी कीमत पारंपरिक पेट्रोल के लगभग समान रखी गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं को तुरंत आर्थिक बोझ महसूस नहीं होगा। हालांकि, शुरुआती चरण में माइलेज में अंतर और इंजन की प्रतिक्रिया में बदलाव ज़रूर देखने को मिल सकते हैं।

सरकारी नीतिकारों को उम्मीद है कि E20 की व्यापक स्वीकृति से मुंबई की सड़कों पर प्रदूषण में कमी, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, और साफ हवा जैसे लाभ मिलेंगे। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि उपभोक्ता इस बदलाव को समझें और अपने वाहनों के अनुसार सही फैसले लें।

E20 पेट्रोल का यह आगमन मुंबई के लिए एक तकनीकी और पर्यावरणीय मोड़ है, जो अगर सही ढंग से लागू और अपनाया गया, तो आने वाले वर्षों में यह न केवल शहर की हवा को शुद्ध करेगा, बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बना सकता है।

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