मुंबई: बीकेसी पॉड टैक्सी परियोजना को मिला तटीय प्राधिकरण का अनुमोदन, 0.14 हेक्टेयर मैंग्रोव नष्ट होंगे, 431 पेड़ काटने की मंजूरी

मुंबई | 14 अगस्त 2025 : मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में प्रस्तावित पॉड टैक्सी परियोजना को महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (MCZMA) से हरी झंडी मिल गई है। यह परियोजना, जो शहर के सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक क्षेत्र की परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखती है, अगले तीन वर्षों में पूरी की जानी है। लगभग ₹1,016.34 करोड़ की लागत से बनने वाली यह स्वचालित मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली (MRTS) प्रतिदिन 4 से 6 लाख यात्रियों को सेवा देने में सक्षम होगी।
हालांकि यह परियोजना तेज़, सुविधाजनक और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा के नए विकल्प के रूप में देखी जा रही है, लेकिन इसके साथ पर्यावरण पर भी असर पड़ेगा। MCZMA द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार, इस परियोजना के कारण लगभग 0.14 हेक्टेयर मैंग्रोव वन क्षेत्र प्रभावित होगा और 431 पेड़ काटे जाएंगे। बीकेसी के पास बहने वाली नदियों के किनारे करीब 8.01 किलोमीटर लंबे मार्ग में से 58.48 मीटर हिस्सा मैंग्रोव क्षेत्र से होकर गुजरेगा। इस संबंध में मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने पेड़ों की कटाई के लिए ट्री अथॉरिटी से आवश्यक अनुमति भी मांगी है।
फिलहाल बीकेसी पहुंचने के लिए हजारों कार्यालय जाने वाले यात्री BEST की बसों, ऑटो-रिक्शा और टैक्सियों पर निर्भर हैं। मगर यात्रियों की लगातार यह शिकायत रही है कि बस सेवाएं नियमित नहीं हैं और ऑटो चालकों द्वारा खासकर छोटे सफर के लिए मनमाने दाम वसूले जाते हैं। यात्री यह भी बताते हैं कि ट्रैफिक पुलिस, परिवहन विभाग (RTO) और MMRDA जैसी एजेंसियों ने अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं दिया है।
MMRDA की रिपोर्ट में कहा गया है कि पारंपरिक परिवहन प्रणाली बीकेसी जैसे क्षेत्र के लिए कारगर नहीं है। पीक आवर्स के बाहर बड़ी बसें अक्सर खाली चलती हैं, जिससे लागत और समय दोनों की बर्बादी होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए अब स्वचालित रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (ARTS) का सहारा लिया जा रहा है। यह पॉड टैक्सी प्रणाली छोटे, स्वचालित, बिजली-चालित वाहन होंगी जो एक विशेष एलिवेटेड ट्रैक पर चलेंगी। परियोजना के तहत बीकेसी क्षेत्र में 21 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें टिकट काउंटर, प्रतीक्षालय, चार्जिंग डॉक्स और एस्केलेटर जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी। संपूर्ण प्रणाली स्मार्ट सेंसर और रियल-टाइम कंट्रोल सिस्टम से नियंत्रित की जाएगी, जिससे यातायात निर्बाध और कुशल बना रहेगा।
अधिकारियों का मानना है कि यह परियोजना बीकेसी में यात्रा के समय को काफी कम करेगी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी घटाएगी। हालांकि पर्यावरणविदों की नजर इस पर टिकी हुई है। मैंग्रोव और वृक्षों की कटाई को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता निकट भविष्य में इस परियोजना के खिलाफ आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। मुंबई का तटीय पारिस्थितिक तंत्र बेहद नाजुक है, और यदि पुनः रोपण व जैव विविधता की क्षतिपूर्ति के प्रयास पर्याप्त नहीं रहे, तो यह परियोजना कानूनी चुनौतियों के घेरे में भी आ सकती है।
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