शिवाजी पार्क में शिवसेना (UBT) का महायुति को चेतावनी भरा प्रदर्शन

मुंबई | 11 अगस्त 2025 : राज्य की महायुति सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने सोमवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में एक विशाल जनआंदोलन किया। इस आंदोलन को पार्टी ने “महाराष्ट्र जनआक्रोश आंदोलन” नाम दिया, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कथित तौर पर "दागी और भ्रष्ट" मंत्रियों को मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करने की मांग की।
शिवसेना (UBT) द्वारा साझा किए गए वीडियो में देखा गया कि आंदोलनकारियों ने नोटों की नकली गड्डियां और बैग लेकर प्रतीकात्मक रूप से महायुति सरकार के मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर करने का प्रयास किया। पार्टी के एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा गया, “महायुति सरकार के दागी और भ्रष्ट मंत्रियों को बर्खास्त करो! | महाराष्ट्र जनआक्रोश आंदोलन।”
इस प्रदर्शन का नेतृत्व स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किया, जिनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। ठाकरे गुट ने इससे पहले पूरे महाराष्ट्र में जिलाधिकारी कार्यालयों के बाहर दोपहर 12 बजे से विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। राज्यभर में जिला कलेक्टर कार्यालयों के बाहर कार्यकर्ताओं ने इसी मुद्दे पर प्रदर्शन किए, जबकि मुंबई में शिवाजी पार्क आंदोलन का केंद्र बना रहा। साथ ही, मुंबई के कई सरकारी कार्यालयों के बाहर भी पार्टी ने विरोध दर्ज कराया।
शिवसेना (UBT) ने महायुति सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान में पूर्व मंत्री संजय राठौड़ पर ₹60 करोड़ के कथित घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, मंत्री धनंजय मुंडे पर ₹1,500 करोड़ की खरीद-फरोख्त में अनियमितताएं बरतने और माणिकराव कोकाटे पर तिलहन खरीदी में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
बयान में यह भी कहा गया है कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इन सभी भ्रष्टाचार मामलों की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इन पर कोई संज्ञान नहीं लिया। शिवसेना (UBT) ने आरोप लगाया कि "जनता के टैक्स का पैसा सुरक्षित रखने के बजाय, मंत्री अपने-अपने खजाने भरने में व्यस्त हैं।"
पार्टी ने कहा कि यह आंदोलन केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, बल्कि जनता को यह जागरूक करने का भी प्रयास है कि सरकार की नीतियां कैसे जनविरोधी हैं और किस तरह से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। आंदोलन के माध्यम से पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि जनता की आवाज़ को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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