गुजरात: कच्छ में 1971 युद्ध के शरणार्थियों ने पहलगाम हमले की निंदा की, भारतीय सशस्त्र बलों को पूरा समर्थन देने की बात कही

कच्छ: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, गुजरात के कच्छ की सीमा क्षेत्रों में बसे 1971 के भारत-पाक युद्ध के शरणार्थियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और भारतीय सशस्त्र बलों को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
इन शरणार्थियों में से कई, या उनके परिवार के सदस्य, पहले भारतीय सीमा सुरक्षा बलों में सेवा दे चुके हैं। उनका कहना है कि यदि सीमा पर हालात बिगड़ते हैं, तो वे सेना और पुलिस के साथ खड़े होंगे।
थरपारकर गांव के निवासी और 1971 युद्ध के शरणार्थी छोटा भांजी ने ANI से बात करते हुए कहा कि, "गांव में जो लोग आर्मी से रिटायर हुए हैं, उन्हें हथियारों का लाइसेंस दिया जाना चाहिए। बहुत से लोग हैं जो BSF और अन्य बलों में रहे हैं, जिन्हें ट्रेनिंग मिली है और अब रिटायर हो गए हैं। अगर उन्हें हथियार दिए जाएं तो अच्छा रहेगा। वैसे तो सामान्य कामकाज चल रहा है, हम सेना के साथ तो हैं ही।”
उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके गांव और आसपास के इलाकों में कोई तनाव नहीं है, लेकिन यदि आवश्यकता पड़ी तो सभी सेना और पुलिस का समर्थन करने को तैयार हैं। “फिलहाल तो कच्छ सीमा पर कोई तनाव नहीं है। लेकिन अगर बॉर्डर के नजदीक जाते हैं तो हो सकता है कि तनाव हो। हम 1971 के युद्ध के बाद यहां आए थे, हिंदू लोग। पहले भी दो-तीन बार युद्ध हो चुका है, पर अब लोगों का आत्मविश्वास बढ़ गया है। हमारे सैनिक प्रशिक्षित हैं। जब हम यहां आए थे, सरकार ने हमें ज़मीन दी थी और पुरुषों को सीमा बलों में नौकरी भी मिली थी।”
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में कुल 14 पुनर्वास गांव हैं, जहां हजारों शरणार्थी दशकों से बसे हुए हैं।
एक अन्य ग्रामीण खेताराम ओझा ने भी पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि भले ही कुछ सीमावर्ती इलाकों में तनाव हो, लेकिन उन्हें भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की कि उन्होंने सेना को जवाब देने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी है।
“हम 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत आए और अब हमें नागरिकता भी मिल गई है। जो घटना (पहलगाम हमला) हुई है, वह बहुत बुरी है, ऐसा नहीं होना चाहिए। हमारा दुश्मन देश लगातार आतंकियों को भेजता रहा है, यह आज़ादी के समय से ही चल रहा है। युद्ध का माहौल तभी से है, लेकिन अब भारत बदल गया है,” खेताराम ओझा ने ANI से कहा।
सेना के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए उन्होंने कहा, “भारत अब सक्षम है। अभी कुछ तनाव जरूर है, लेकिन हमें अपनी सेना और प्रधानमंत्री पर पूरा विश्वास है कि हमारे साथ कुछ नहीं होगा। उन्होंने सेना को पूरी आज़ादी दी है और हमारी सेनाएं बहुत सक्षम हैं। हम बॉर्डर पर हैं, लेकिन हम भी सतर्क हैं और सेना का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।”
29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेना प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद थे।
पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जो कि 2019 पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी का सबसे घातक हमला है, जिसमें 40 CRPF जवान शहीद हुए थे।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास जताया और कहा कि भारतीय सेना को उत्तर देने की विधि, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।
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