घर खरीदारों की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए नागरिक निकायों की वेबसाइटें महारेरा पोर्टल से जुड़ेंगी।

मुंबई - बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में शहरी नियोजन प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइटों को महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) पोर्टल से तीन महीने के भीतर जोड़ें। इस कदम का उद्देश्य घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा और रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ाना है।
सीसी और ओसी की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना जरूरी
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले आरंभ (सीसी) और अधिभोग प्रमाणपत्रों (ओसी) की प्रामाणिकता की जांच के लिए वेबसाइटों और महारेरा पोर्टल का एकीकरण अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि यह कदम अवैध निर्माण रोकने और घर खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए अहम है।
याचिकाकर्ता की चिंता
डोंबिवली के वास्तुकार संदीप पांडुरंग पाटिल की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित हुआ। याचिकाकर्ता ने सरकार, महारेरा, और नगर निकायों के बीच जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की थी।
अवैध निर्माण पर सख्त रुख
अदालत ने कहा कि जब तक पूर्ण एकीकरण नहीं होता, सभी नगर निकाय 48 घंटों के भीतर सीसी और ओसी को अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करना सुनिश्चित करें। साथ ही, अदालत ने महारेरा को निर्देश दिया कि वह 19 जून, 2023 से प्रमोटरों द्वारा प्रस्तुत सभी प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता की जांच करे और केवल वास्तविक दस्तावेजों पर आधारित परियोजनाओं का पंजीकरण हो।
अवैध ढांचे होंगे ध्वस्त
अदालत ने महारेरा को तीन महीने के भीतर उन अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने का आदेश दिया, जो जाली दस्तावेजों के आधार पर बनी हैं। साथ ही, पुलिस को नगर निकाय अधिकारियों की सहायता करने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी संकल्प का पालन अनिवार्य
अदालत ने राज्य सरकार से शहरी विकास विभाग के 23 फरवरी, 2023 के सरकारी संकल्प का सख्ती से पालन करने को कहा, जिसमें सीसी और ओसी जारी करने की प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने और घर खरीदारों को पारदर्शी जानकारी प्रदान करने का प्रावधान है।
तीन महीने में बीपीएमएस का होगा एकीकरण
अदालत ने सरकार को बिल्डिंग प्लान मैनेजमेंट सिस्टम (बीपीएमएस) को महारेरा की ऑनलाइन प्रणाली से तीन महीने के भीतर एकीकृत करने का निर्देश दिया ताकि प्रमाणपत्रों की जांच और फर्जी दस्तावेजों पर रोक लगाई जा सके।
यह आदेश घर खरीदारों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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