घाटकोपर होर्डिंग हादसे को एक साल: बीएमसी की लापरवाही जारी, अवैध होर्डिंग्स पर कोई लगाम नहीं

मुंबई : घाटकोपर में हुए दर्दनाक होर्डिंग हादसे को एक साल पूरे हो चुके हैं, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी। इस त्रासदी के बाद बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने एक ठोस आउटडोर विज्ञापन नीति का वादा किया था, लेकिन आज तक वह नीति सिर्फ कागजों तक सीमित है। अगस्त 2024 में प्रस्तावित नई होर्डिंग नीति अब भी अधर में लटकी हुई है, जिससे नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है।
इस हादसे के बाद बीएमसी ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी जिसमें आईआईटी-बॉम्बे के विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, पुलिस और बीएमसी अधिकारियों को शामिल किया गया था। इस समिति ने एक मसौदा नीति तैयार की थी जिसमें छतों, पुलों और ट्रैफिक द्वीपों पर नए होर्डिंग्स लगाने पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था।
डिजिटल होर्डिंग्स पर नियंत्रण के लिए अलग दिशा-निर्देश बनाए गए, जिनमें वीडियो विज्ञापनों और झपकती हुई लाइट्स पर रोक तथा न्यूनतम 8 सेकंड की स्थिर छवि का नियम शामिल था। लेकिन ये दिशा-निर्देश अब तक लागू नहीं हो पाए हैं।
कुर्ला के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरटीआई के ज़रिए इस नीति की स्थिति जाननी चाही, लेकिन बीएमसी ने कोई जवाब नहीं दिया। उनका आरोप है कि “होर्डिंग माफिया” और राजस्व बंटवारे को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान के कारण नीति को अंतिम रूप नहीं दिया जा रहा है।
वॉचडॉग फाउंडेशन के संस्थापक गॉडफ्रे पिमेंटा ने बीएमसी की निष्क्रियता की कड़ी आलोचना की और कहा कि डिजिटल होर्डिंग्स, विशेष रूप से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर, ड्राइवर्स के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने रोड मीडियन पर डिजिटल विज्ञापन पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की मांग की।
'फाइट फॉर राइट फाउंडेशन' के विनोद घोलप ने कहा, “मानसून के समय ये अवैध होर्डिंग्स लोगों की जान को खतरे में डालते हैं, और बीएमसी की देरी इसके लिए जिम्मेदार है।”
इस बीच बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि नीति को अंतिम रूप देने से पहले पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिलीप भोसले की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था। यह रिपोर्ट अब राज्य सरकार को सौंप दी गई है, लेकिन बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी से संपर्क नहीं हो सका।
प्रस्तावित नीति के सार्वजनिक सुनवाइयों में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) ने भी विरोध जताया, विशेष रूप से उन प्रावधानों का जिसमें बीएमसी को विज्ञापन राजस्व का 50% हिस्सा देने की बात कही गई है। यह टकराव भी नीति के लागू होने में एक बड़ी बाधा बन गया है।
हालांकि बीएमसी ने अस्थायी तौर पर कुछ वैध विज्ञापन स्थलों को चिन्हित किया है, जिनमें 1,017 बैनर स्पॉट्स, 2,311 बस शेल्टर्स और 32,531 कीओस्क शामिल हैं। बीएमसी ने चेतावनी दी है कि इन निर्धारित स्थानों के बाहर कोई भी बैनर, पोस्टर या बोर्ड लगाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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