सोयाबीन के किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने अब 15 फीसदी तक नमी वाले सोयाबीन की खरीदी को दी मंजूरी

सोयाबीन के किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने अब 15 फीसदी तक नमी वाले सोयाबीन की खरीदी को दी मंजूरी

मुंबई: अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए काफी समय से लगातार प्रयत्न करते आ रही है। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है लेकिन महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में अभी भी किसान खास कर तिलहन जिन में सोयाबीन और कापूस की खेती करने वाले संतुष्ट नहीं है। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ दिनों पूर्व तेल के आयात पर 20% नया आयात शुल्क लागू किया इसके बाद तेलों के दामों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन सोयाबीन के दाम उस मुकाबला नहीं बढ़े।

सोयाबीन महाराष्ट्र की मुख्य फसलों में से एक है। यहां के कई जिलों में किसान बड़े स्तर पर सोयाबीन की खेती करते हैं। महाराष्ट्र में सोयाबीन का रकबा करीब 50 लाख हेक्टेयर है। किसानों के लिए सोयाबीन का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल ₹ 4892 घोषित किया गया है। हालांकि, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से बहुत कम रेट मिल रहा है। जबकि बाजारो में कीमतें 4,100-4,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं।

इसलिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सोयाबीन के किसानों को राहत देने के लिए अब 15 फीसदी तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद का आदेश जारी किया है। हालांकि, पहले सोयाबीन की खरदी के लिए नमी को लेकर जो मानक तय किया गया था, वह 12 प्रतिशत था। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र के लाखों किसानों को सीधा फायदा होगा। क्योंकि सोयाबीन की सबसे अधिक खेती करने वाले राज्यों में से महाराष्ट्र है। हालांकि, कुछ दिन पहले ही किसानों ने सरकार से सोयाबीन में नमी की मात्रा 12 फीसदी से बढ़ाने की मांग की थी।

डिप्टी कमिश्नर (एमपीएस) बिनोद गिरी ने शुक्रवार शाम को जारी एक बयान में कहा कि सोयाबीन खरीद में यह छूट केवल खरीफ 2024-25 सीजन के लिए है। खास बात यह है कि सामान्य नमी सीमा से अधिक सोयाबीन की खरीद से जुड़े खर्च और नुकसान को राज्य सरकारें वहन करेंगी। वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा में किसानों को काफी अधिक फायदा होगा। क्योंकि यहां पर किसान सबसे अधिक सोयाबीन की खेती करते हैं। यही वजह है कि बीतों दिनों किसानों ने सोयाबीन की कम मार्केट कीमत और धीमी गति से हो रही सरकारी खरीद को लेकर सरकार के लिखाफ गुस्सा जताया था।

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