पांच साल बाद जेल से रिहा, RTI से हासिल की जमानत

पांच साल बाद जेल से रिहा, RTI से हासिल की जमानत

पालघर, महाराष्ट्र: एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर, सचिन संबारे (39), जिन्हें झूठे बलात्कार के आरोप में लगभग पांच साल तक जेल में रखा गया था, ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमानत हासिल की। उन्होंने दावा किया कि वे महिला वकीलों, पुलिस अधिकारियों और अन्य लोगों के एक जबरन वसूली गिरोह के शिकार हुए थे।

RTI से खुलासा

संबारे ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी जुटाई और पाया कि जिस महिला वकील ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था, उसने इसी तरह कम से कम पांच अन्य पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाया था। RTI से पता चला कि 2012 से 2025 तक उसने महाराष्ट्र के विभिन्न पुलिस थानों में छह अलग-अलग बलात्कार के मामले दर्ज कराए थे। इसके अलावा, उसके और उसके परिवार के खिलाफ 22 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें धोखाधड़ी, जबरन वसूली, जालसाजी और चोरी शामिल थे।

कैसे फंसाया गया?

संबारे ने बताया कि 2017 में उनकी मुलाकात शा‍दी डॉट कॉम पर एक महिला से हुई, जिसने खुद को वकील बताया। धीरे-धीरे वे नज़दीक आए और महिला ने कई बार पैसों की मांग की। 2019 में, जब उन्होंने 5 लाख रुपये देने से इनकार किया, तो महिला ने राबाले पुलिस स्टेशन में बलात्कार का मामला दर्ज करा दिया।

जांच अधिकारी ने परिवार से 10 लाख रुपये की मांग की और जब पैसे नहीं मिले, तो संबारे को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गाड़ी जब्त कर ली गई और बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया। इस कारण उनकी बीमार माँ को समय पर इलाज नहीं मिल सका और उनकी मृत्यु हो गई।

कानूनी लड़ाई और हाई कोर्ट का फैसला

जेल में रहने के दौरान संबारे ने अखबारों में पढ़ा कि कई राज्यों में हाई कोर्ट ने फर्जी मामलों में लिप्त महिलाओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया।

जनवरी 2025 में, उन्होंने कोर्ट को एक रिमाइंडर भेजा। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और डॉ. नीला गोकले की पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वे संबारे के आरोपों की जांच करें और आठ हफ्तों में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

'न्याय की जरूरत'

संबारे ने कहा, "यह झूठा मामला मेरी जिंदगी और करियर को पूरी तरह से बर्बाद कर चुका है। जो महिलाएँ कानून का दुरुपयोग कर रही हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।"

एक्टिविस्ट की राय: डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और 'एकम न्याय फाउंडेशन' की निदेशक दीपिका नारायण भारद्वाज ने इस मामले को झूठे बलात्कार मामलों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को ऐसे मामलों की गहन जांच करवानी चाहिए।

पुलिस की सफाई

जांच अधिकारी तुकाराम निम्बालकर ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि मानवाधिकार आयोग और एसीपी वाशी डिवीजन की जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। उन्होंने बताया कि संबारे फरार थे, इसलिए उनका बैंक खाता फ्रीज किया गया।

निष्कर्ष: बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश से इस मामले में जांच शुरू हो गई है, जिससे झूठे आरोपों का शिकार हुए लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

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