प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए: तारा भावलकर की मांग

मुंबई, 25 जून: अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की 98वीं अध्यक्ष तारा भावलकर ने कहा है कि कक्षा 4 तक के छात्रों को केवल उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए। उनका यह बयान महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने की प्रस्तावित नीति के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच आया है।
86 वर्षीय भावलकर ने कहा, "इस उम्र में छात्रों की शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा दी जानी चाहिए।" उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अन्य भाषाओं को जबरन थोपना न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी गलत है।
सरकार की नीति पर विवाद
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को सामान्यतः तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। इस नीति को लेकर शिक्षकों, अभिभावकों और भाषाविदों के बीच विरोध तेज हो गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि तीन-भाषा फॉर्मूले पर अंतिम निर्णय सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।
अंग्रेजी शिक्षा पर भी उठाए सवाल
तारा भावलकर ने पहली कक्षा से ही अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई शुरू किए जाने का भी विरोध किया। उन्होंने कहा, "इससे छात्रों को न तो मातृभाषा समझ में आती है, न ही विदेशी भाषा। यह उनकी भाषाई समझ को बाधित करता है।"
भावलकर के इस बयान ने मातृभाषा आधारित शिक्षा पर एक बार फिर राष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें शिक्षा नीति, बाल मनोविज्ञान और भाषाई विविधता के बीच संतुलन की आवश्यकता को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।
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