सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन, पालिका के 39 अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई

सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन, पालिका के 39 अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई

वसई: वसई विरार नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किए जाने का मामला सामने आया है। समय पर जानकारी न देना, गलत और अधूरी जानकारी देना जैसे मामले सामने आ रहे हैं। सूचना अधिकार अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन करने के आरोप में वसई-विरार नगर निगम के 39 अधिकारियों पर सूचना आयोग द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की गई है।

जनता को प्रशासनिक कार्यवाही की जानकारी मिल सके और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाया जा सके, इसके लिए सूचना अधिकार अधिनियम 2005 अस्तित्व में आया था। लेकिन वसई विरार नगर निगम से सूचना अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, ऐसा सामने आया है। निगम के अधिकारियों द्वारा जानकारी देने में टालमटोल की जाती है, ऐसी लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इस बारे में नियत समय में जानकारी न देने पर संबंधित अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। वसई-विरार नगर निगम के कुल 39 अधिकारियों ने इन धाराओं का उल्लंघन किया है। इसके कारण इन अधिकारियों को सूचना आयोग से दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। इनमें से कुछ अधिकारियों पर दो बार, जबकि कुछ पर तीन बार इस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। सूचना अधिकार फेडरेशन पालघर जिले के अध्यक्ष महेश कदम ने सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से यह मामला उजागर किया। इसमें सबसे बड़ा दंड 25 हजार रुपये लगाया गया है, जबकि न्यूनतम दंड 2,500 रुपये हुआ है। कुल दंड की राशि 2,76,000 रुपये है।

इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर दंड

इसमें सबसे अधिक दंड सहायक आयुक्त निलेश म्हात्रे पर लगाया गया है। उन्हें दो बार 25 हजार रुपये का दंड लगाया गया है। वहीं सबसे कम, यानी 3,000 रुपये का दंड सहायक आयुक्त सुखदेव दरवेशी, नरेश व पाटील, विलास वळवी, दशरथ वाघेला, अशोक म्हात्रे, राजेंद्र कदम, संतोष जाधव, गणेश पाटील और आसावरी जाधव पर लगाया गया है।

दंड का निर्धारण कब होता है?

सूचना अधिकार (आरटीआई) आवेदन का 30 दिनों के भीतर उत्तर न देने पर सूचना अधिकार अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन माना जाता है। इसके कारण अधिकांश नागरिक जानकारी के लिए उच्च प्राधिकरण के पास अपील करते हैं। लेकिन अगर जनसूचना अधिकारी जानबूझकर गलत, अधूरी या भ्रामक जानकारी देता है, तो कानून के तहत उनके खिलाफ दंड लगाने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की जाती है। साथ ही उन्हें सेवा नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी अधिकार होता है। इसमें सूचना आयोग प्रति दिन 250 रुपये का दंड लगा सकता है। इसमें कुल दंड राशि 25,000 रुपये तक हो सकती है। जनसूचना अधिकारी को यह दंड उसकी तनख्वाह से भरना पड़ता है। केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग जनसूचना अधिकारी से दंड लगाने से पहले उसे सुनवाई का उचित अवसर भी देता है।

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