इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: विक्रेता द्वारा कर जमा न करने पर भी खरीदार से नहीं छीना जा सकता ITC

लखनऊ, 12 जून 2025 : जीएसटी प्रणाली से जुड़े लाखों छोटे और ईमानदार व्यापारियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि खरीदार ने विक्रेता को जीएसटी की राशि का भुगतान कर दिया है, लेकिन विक्रेता ने वह कर सरकार को जमा नहीं किया या रिटर्न दाखिल नहीं किया, तो खरीदार को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से वंचित नहीं किया जा सकता।
यह निर्णय 30 मई 2025 को मेसर्स आर. टी. इन्फोटेक बनाम अतिरिक्त आयुक्त के मामले में आया, जिसमें अदालत ने स्पष्ट कहा कि खरीदार विक्रेता को कर जमा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता, और यदि उसने ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाया है, तो उसे आईटीसी से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह फैसला उन छोटे करदाताओं की बड़ी जीत है जिन्हें विक्रेता की लापरवाही के कारण विभागीय नोटिसों का सामना करना पड़ रहा था।”
उन्होंने बताया कि अदालत ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के मेसर्स सन क्राफ्ट एनर्जी बनाम केंद्र और मद्रास हाईकोर्ट के डीवाई बीटल एंटरप्राइजेज बनाम स्टेट टैक्स ऑफिसर के निर्णयों पर भरोसा जताया। अदालत ने इस मामले को पुनः निर्णय के लिए न्यायिक प्राधिकारी को भेजा है ताकि कानूनी दृष्टिकोण से स्पष्ट आदेश पारित किया जा सके।
फैसले की अहम बातें:
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खरीदार को विक्रेता के कर जमा न करने की सजा नहीं दी जा सकती।
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यदि खरीदार ने कर राशि का भुगतान कर दिया है और अन्य नियमों का पालन किया है, तो उसे आईटीसी मिलना चाहिए।
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जीएसटी कानून का उद्देश्य कर संग्रह करना है, न कि ईमानदार व्यापारियों को दंडित करना।
क्या बोले व्यापारी संगठन:
शंकर ठक्कर ने कहा कि कई छोटे व्यापारी जीएसटी पोर्टल पर दिखाई दे रही विसंगतियों की वजह से परेशान हैं और नोटिसों का सामना कर रहे हैं, जबकि उन्होंने सभी दायित्व निभाए हैं। अब इस फैसले से राहत मिलेगी और न्यायिक दृष्टि से संतुलन स्थापित होगा।
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