नई दिल्ली : भू-राजनीतिक तनाव, क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल और वैश्विक खाद्य तेल बाज़ार में मजबूत सेंटीमेंट के चलते पाम ऑयल की कीमतों में तेज़ी देखी जा रही है। मलेशिया के क्रूड पाम ऑयल (CPO) वायदा लगातार तीसरे दिन मजबूती के साथ बंद हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी लंबे समय तक बरकरार नहीं रह सकती, क्योंकि अमेरिकी बायोडीज़ल नीति में अनिश्चितता और उत्पादन में बढ़ोतरी इसकी राह में अड़चन बन सकती है।
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि "इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने मिडल ईस्ट से सप्लाई में रुकावट की आशंका को जन्म दिया है। इसका सीधा असर क्रूड ऑयल की कीमतों पर पड़ा है, जिससे वेजिटेबल ऑयल्स की बायोफ्यूल डिमांड को बल मिला है।"
CBOT सोया ऑयल और मलेशियन पाम ऑयल के बीच मूल्य अंतर $145.10/टन है, जो पाम तेल को भारत और चीन जैसे प्रमुख आयातकों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है। इससे इन देशों से निकट भविष्य में मजबूत मांग की उम्मीद जताई जा रही है।
हालांकि, अमेरिका की बायोडीज़ल नीति को लेकर बने अस्पष्ट संकेत जैसे कि अपेक्षा से कम ब्लेंडिंग लक्ष्य और रिफाइनरी छूटों पर विलंब से वैश्विक डिमांड आउटलुक पर दबाव बढ़ सकता है। इससे पाम ऑयल की कीमतों में लंबी अवधि की तेजी को सीमित किया जा सकता है।
इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ने की खबरें भी बाजार को संतुलित कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में बाजार में सतर्कता बरतना जरूरी होगा।
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