ईरान-इज़राइल युद्ध का भारत पर असर: खाद्य तेल, हवाई यात्रा और निर्यात पर महंगाई की मार

ईरान-इज़राइल युद्ध का भारत पर असर: खाद्य तेल, हवाई यात्रा और निर्यात पर महंगाई की मार

नई दिल्ली | 21 जून 2025 : ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव का असर अब भारतीय अर्थव्यवस्था और आमजन की जेब पर भी पड़ने लगा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कि युद्ध के कारण भारत में कई जरूरी वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है।

ठक्कर के अनुसार, खाद्य तेलों की कीमतों में 7% से 8% तक की बढ़ोतरी हुई है। युद्ध से पहले पाम तेल की कीमत ₹1110 प्रति 10 किलो थी, जो अब ₹1180 तक पहुंच गई है। सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में भी 70 से 100 रुपये प्रति 10 किलो की वृद्धि देखी गई है।

गल्फ देशों द्वारा अपना हवाई क्षेत्र बंद किए जाने के कारण हवाई यात्रा प्रभावित हुई है। उड़ानों के मार्ग लंबा होने से यात्रियों को अधिक समय और पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। हवाई किराए में इस सप्ताह 15-20% तक की बढ़ोतरी हुई है।

सी-फ्रेट दरों में भी 50% तक की वृद्धि हुई है और माल बीमा खर्च भी लगातार बढ़ रहा है। भारत से यूरोप और खाड़ी देशों में होने वाले व्यापार मार्गों – विशेष रूप से लाल सागर और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ – पर प्रभाव पड़ा है, जिससे निर्यात समय और लागत में बढ़ोतरी की आशंका है।

इस युद्ध की सीधी असर बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ी है। भारत हर साल ईरान को बड़े पैमाने पर बासमती चावल निर्यात करता है। 2024 में ₹6,734 करोड़ मूल्य का चावल ईरान को भेजा गया था, जो अब थमता नजर आ रहा है। घरेलू बाजार में बासमती चावल के दाम में 10-15% गिरावट आ सकती है।

सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और निर्यातकों को राहत देने के उपायों पर विचार कर रही है।

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