टैक्स फ्री इंडिया': कर उत्पीड़न के खिलाफ व्यापारियों की रचनात्मक क्रांति

टैक्स फ्री इंडिया': कर उत्पीड़न के खिलाफ व्यापारियों की रचनात्मक क्रांति

मुंबई, 22 मई 2025:देशभर के व्यापारियों ने मौजूदा कर प्रणाली की जटिलताओं और उत्पीड़न के विरोध में कर क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने ‘कर मुक्त भारत’ की मांग करते हुए एक नये कर मॉडल का सुझाव दिया है – सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की जगह केवल एक समान संपत्ति कर लागू किया जाए।

इस पहल की विशेषता है एक फिल्म – 'टैक्स फ्री इंडिया', जिसे मुंबई के एक छोटे व्यवसायी सुबोध जयप्रकाश ने स्वयं लिखा, निर्देशित और निर्मित किया है। यह फिल्म देशभर के व्यापारियों की पीड़ा और कर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत करती है।

ठक्कर ने बताया कि मौजूदा कर ढांचा – आयकर, जीएसटी, वैट, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, संपत्ति कर, एमसीए आरओसी, व्यावसायिक कर, स्टांप शुल्क आदि – व्यापारियों को अनावश्यक बोझ और उत्पीड़न में डालता है। इसके स्थान पर, उन्होंने सुझाव दिया कि देश भर के वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से प्रति वर्ग फुट ₹700 वार्षिक कर वसूला जाए। उनका तर्क है कि देश में अनुमानित 10,000 करोड़ वर्ग फुट वाणिज्यिक क्षेत्र है, जिससे सरकार को 70 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है – जो वर्तमान केंद्र सरकार के 57 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित बजटीय राजस्व से अधिक है।

‘टैक्स फ्री इंडिया’ फिल्म एक व्यापारिक नागरिक की 40 वर्षों की पीड़ा, संघर्ष और आकांक्षा की कहानी है। जयप्रकाश ने बताया कि फिल्म आम करदाताओं को जागरूक करने और उनकी आवाज़ बुलंद करने का माध्यम है। दुर्भाग्यवश, सेंसर बोर्ड (CBFC) ने इस फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया, जिससे उन्हें न्यायालय की ओर रुख करने की सलाह दी गई। लंबी न्यायिक प्रक्रिया से बचते हुए, उन्होंने फिल्म को सीधे यूट्यूब पर रिलीज़ कर दिया – जहां इसे व्यापारिक संगठनों और आम दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।

ठक्कर ने कहा, "आज व्यापारी ग्राहक से सरकार के लिए कर वसूलते हैं, खुद अपने खर्च पर खाता रखते हैं और फिर सालों तक दस्तावेज़ रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। वहीं सरकारी अधिकारियों के पास असीमित अधिकार होते हैं, जिससे ईमानदार करदाता भी काले धन की मांग और उत्पीड़न का शिकार बनते हैं।"

जयप्रकाश और व्यापारिक संगठनों ने देशभर के नागरिकों से अपील की है कि वे इस फिल्म को देखें, साझा करें और इस विचार का समर्थन करें ताकि सरकार तक यह संदेश पहुंचे कि देश को एक सरल, पारदर्शी और गैर-भ्रष्टाचारी कर व्यवस्था की आवश्यकता है।

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