महाकुम्भ : पूर्वोत्तर भारत के साधु-संत पहली बार अमृत स्नान पर संगम में लगायेंगे डुबकी

महाकुम्भ : पूर्वोत्तर भारत के साधु-संत पहली बार अमृत स्नान पर संगम में लगायेंगे डुबकी

महाकुम्भनगर, 24 जनवरी : तीर्थराज प्रयाग में महाकुम्भ के अवसर पर पहली बार पूर्वोत्तर भारत के करीब 150 साधु-संत दूसरे अमृत स्नान पर संगम में डुबकी लगायेंगे। ये सभी संत पूर्वोत्तर भारत के एकलौते महामण्डलेश्वर स्वामी केशवदास महाराज के नेतृत्व में मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को संगम में डुबकी लगायेंगे। इन संतों के बीच शाही स्नान को लेकर काफी उत्साह है।

महामण्डलेश्वर स्वामी केशवदास महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि को एक विशेष वार्ता में बताया कि पूर्वोत्तर भारत के संतों को कुम्भ के इतिहास में पहली पर संगम में डुबकी लगाने का मौका मिला है। यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी तथा केन्द्र के मोदी सरकार के प्रयास से संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि शाही स्नान में शामिल होने के लिए असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम से करीब 150 संत महाकुम्भ क्षेत्र में पहुंचेंगे। इन संतों में अमृत स्नान को लेकर काफी उत्साह है। कुम्भ के इतिहास में पहली बार होगा कि इन राज्यों के विभिन्न जनजातियों से जुड़े धर्माचार्य एवं साधु—संत संगम में डुबकी लगायेंगे।

उन्होंने बताया कि महाकुम्भ क्षेत्र के बजरंग दास मार्ग, सेक्टर-7 में इन सभी संतों की ठहरने की व्यवस्था की गई है। स्नान के दिन ये सभी संत अखाड़ों के साथ संगम में डुबकी लगायेंगे। उन्होंने कहा कि जीवन की सार्थकता के लिए 'एकनिष्ठ' प्रेम होना चाहिए। परमात्मा को पाना ही वास्तविक आनन्द है। उन्होंने कहा कि गंगा मईया की कृपा सब पर बरसे, सभी सुखी व सम्पन्न हों, विश्व में शांति हो यही कामना है। बताया कि देवी की कृपा ​​हठ से नहीं, द्रवित करके प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि साधना का मतलब ही है 'साधो'। उन्होंने कहा कि साधना से ज्यादा महत्वपूर्ण चिंतन आपका कैसा है यह मायने रखता है।

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