वसई- विरार रेलवे लाइन विस्तार में बाधित हुईं 6 इमारतें; मुआवजा कम मिलने पर भड़के निवासी, रेलवे पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप

वसई : बोरीवली-विरार के बीच प्रस्तावित नई रेलवे लाइन के लिए की जा रही ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर वसई के आनंदनगर इलाके के निवासी आक्रोशित हैं। रेलवे द्वारा भेजी गई अधिसूचनाओं में केवल 10-15 लाख रुपये मुआवजे का उल्लेख किया गया है, जबकि इस क्षेत्र में घरों की बाजार कीमत 50-60 लाख और दुकानों की कीमत 1 करोड़ रुपये तक है। कम मुआवजे के विरोध में निवासियों ने रेलवे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अदालत में जाने की तैयारी की है।
रेलवे की योजना के तहत बोरीवली से विरार के बीच पांचवीं और छठी रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए वसई से नायगांव तक एक यार्ड बनाया जाएगा, जिसमें कुल 30 ट्रैक शामिल होंगे। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत आनंदनगर की श्रीराम कॉम्प्लेक्स, शिवशक्ति अपार्टमेंट, सहयोग अपार्टमेंट, आदर्श अपार्टमेंट, जगदीप कृपा और चंपा सदन की कुछ संरचनाएं बाधित हो रही हैं। इनमें से पांच इमारतों को पूरी तरह खाली कराने का आदेश दिया गया है।
श्रीराम कॉम्प्लेक्स में होटल और दुकानें हैं, जबकि शिवशक्ति में 90, सहयोग में 40, आदर्श में 21 और जगदीप कृपा में 50 परिवार रहते हैं। ये सभी इमारतें 35 से 40 साल पुरानी हैं।
मुआवजा नहीं, धोखाधड़ी: निवासियों का आरोप
रेलवे ने पहले वादा किया था कि बाजार भाव के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन अब रेडी रेकनर दरों के आधार पर कम मुआवजा घोषित किया गया है। निवासी अण्णा मावीय ने बताया कि 1 करोड़ रुपये की दुकान के बदले मात्र 15 लाख रुपये की पेशकश की गई है, जो पूरी तरह अनुचित है।
रहवासी अशोक चौधरी ने कहा, “हमने अपने फ्लैट्स की कीमतें पूरी तरह बाजार भाव के अनुसार चुकाई हैं। ऐसे में हमें जमीन, निर्माण, मुनाफा, टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क मिलाकर मौजूदा रेडी रेकनर या बाजार दर में से जो अधिक हो, उसी के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए।”
फजले ह. कुरैशी नामक निवासी ने कहा कि “सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट अधूरी और गलत है। इसमें न तो बढ़ी हुई एफएसआई, न ही मौजूदा सुविधाएं और न ही विकास नियमों का विचार किया गया है। केवल ज़मीन और निर्माण लागत के आधार पर मूल्य निर्धारण सरासर गलत है।”
रेलवे को घर चाहिए, तो घर ही दें: रहवासी
निवासियों का कहना है कि उन्हें रेलवे परियोजना से आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि रेलवे उनकी संपत्तियों को अधिग्रहित करना चाहती है, तो उन्हें समतुल्य मूल्य या वैकल्पिक आवास देना चाहिए।
न्यायिक कार्रवाई की चेतावनी
कम मुआवजे और अधिग्रहण प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाते हुए, रहवासियों ने रेलवे अधिनियम 1989 और 2008 के प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला देते हुए रेलवे को कानूनी नोटिस भेजा है।
निवासियों की मांग:
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बाजार दर पर मुआवजा
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पूर्ण पारदर्शिता
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अधिग्रहण की प्रक्रिया में सुधार
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या तो समतुल्य कीमत या वैकल्पिक घर
रेलवे द्वारा भेजे गए नोटिस और घोषित मुआवजे को लेकर अब मामला जल्द ही अदालत में पहुंचने की संभावना है।
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