ठाणे में 17 अवैध इमारतों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की सख्ती की सुप्रीम कोर्ट ने सराहना, हस्तक्षेप से किया इनकार

मुंबई | 19 जून, 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने ठाणे में बनी 17 अवैध इमारतों को गिराने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को न सिर्फ बरकरार रखा, बल्कि हाईकोर्ट की "साहसिक" कार्रवाई की प्रशंसा भी की। अदालत ने कहा कि इस तरह के अवैध निर्माण न केवल कानून के खिलाफ हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत का भी प्रतीक हैं।
इस मामले में याचिकाकर्ता दानिश ज़हीर सिद्दीकी ने हाईकोर्ट के 12 जून के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाश पीठ ने याचिका खारिज करते हुए उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की सलाह दी।
अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि इन अवैध निर्माणों को लेकर अंडरवर्ल्ड और स्थानीय नगर निकायों की मिलीभगत सामने आई है, जो चिंताजनक है। न्यायालय ने कहा कि यह मामला तब उजागर हुआ जब एक महिला ने शिकायत की कि उसकी ज़मीन पर बिना अनुमति के इमारतें खड़ी कर दी गई हैं।
दानिश सिद्दीकी ने दलील दी कि जिन आठ इमारतों को ध्वस्त किया गया है, उनसे करीब 400 परिवार बेघर हो गए हैं और वह स्वयं इनमें से एक फ्लैट के खरीदार हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का निर्णय ठाणे नगर निगम को बिना किसी अतिरिक्त जांच के सीधे तोड़फोड़ की अनुमति देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रत्यक्ष रूप से कोई राय देने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दी, साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट में राहत पाने का विकल्प खुला रखा।
इस दौरान ठाणे की एक दरगाह को लेकर दिए गए तोड़फोड़ आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। दरगाह ट्रस्ट को अब 10 मार्च को दिए गए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वहीं पर अपील करनी होगी।
न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि अवैध निर्माण करने वाले लोग अब न्यायालय में अधिकार की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है और दोषी बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि कानून का शासन बरकरार रहे।
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