कबूतरों के बढ़ते आतंक से नवघर क्षेत्र में स्वास्थ्य संकट, पालिका प्रशासन लापरवाह

वसई-विरार शहर में कबूतरों की बढ़ती संख्या और उनके कारण फैलने वाली बीमारियाँ एक गंभीर समस्या बन गई हैं। पालिका प्रशासन की ओर से इस पर कोई कार्रवाई या उपाय न किए जाने के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार, नवघर मानिकपुर प्रभाग के अंबाडी रोड पर स्थित पालिका कार्यालय के सामने ही चने के विक्रेता कबूतरों को चने और अन्य चीजें खिलाते हैं। विशेष बात यह है कि नवघर मानिकपुर महानगरपालिका कार्यालय के सामने ही यह अवैध काम खुलेआम जारी है, और स्थानीय नागरिक भी इन पक्षियों को खिला रहे हैं। इस पर प्रतिबंध लगाना अब आवश्यक हो गया है। यहां हजारों कबूतरों ने अपना बसेरा बना लिया है, जिससे स्काईवॉक कबूतरों की बीट से भर गया है। यहां से गुजरने वाले लोग, वाहन, और पार्किंग में खड़े वाहन भी इस बीट से दूषित हो रहे हैं, जिससे गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। कबूतरों की बीट के कारण हिस्टोप्लाज्मोसिस, कैंडिडियासिस, और क्रिप्टोकोकोसिस जैसे फेफड़ों के गंभीर रोग फैलते हैं, जो बाद में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया है कि कबूतरों की बीट और पंखों के लगातार संपर्क में रहने से मानव स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। डॉक्टरों की ताजा केस स्टडी के अनुसार, कबूतरों को खाना खिलाना और उनके पास रहना मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा जोखिम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कबूतरों की बीट में फंगस और बैक्टीरिया होते हैं, जिससे राइनाइटिस, त्वचा एलर्जी, आँखों की लालिमा, और साइनसाइटिस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। साथ ही, इसके कारण श्वसन संबंधी समस्याएँ भी बढ़ रही हैं। समय पर इन बीमारियों का निदान और इलाज न किया गया तो श्वसन प्रणाली के गंभीर रोग हो सकते हैं। कुछ साल पहले, पालिका प्रशासन ने इस क्षेत्र में पक्षियों को खाना न खिलाने के लिए बोर्ड लगाए थे, जो अब गायब हो चुके हैं। सबसे पहले, यहां के चने विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है। इस विषय पर 'एच' प्रभाग समिति के सहायक आयुक्त मनोज वनमाली से संपर्क किया गया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस समस्या पर जल्द ही कदम उठाए जाएंगे और संबंधित विक्रेताओं पर कार्रवाई की जाएगी।
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