मुंबई: स्वास्थ्य खतरे को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 'कबूतर खाना' तत्काल बंद करने के दिए आदेश

मुंबई, 5 जुलाई – कबूतरों को सार्वजनिक स्थलों पर दाना डालने की परंपरा अब स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुकी है। इसे गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के सभी 'कबूतर खाने' (पक्षियों को दाना डालने के स्थान) को तत्काल बंद करने के आदेश जारी किए हैं। सरकार ने यह निर्णय कबूतरों की बीट और पंखों से फैलने वाली सांस की बीमारियों को देखते हुए लिया है।
यह फैसला महाराष्ट्र विधान परिषद में तब आया जब शिवसेना की मनोनीत सदस्य मनीषा कायंदे ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कबूतरों के जमावड़े वाले इलाके खासकर आसपास के निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन चुके हैं।
भाजपा नेता और विधान परिषद सदस्य चित्रा वाघ ने इस मुद्दे पर बोलते हुए बताया कि उनकी मौसी की मृत्यु एक गंभीर श्वसन रोग के कारण हुई, जो लंबे समय तक कबूतरों की बीट के संपर्क में रहने से हुआ था। उन्होंने कहा, “लोगों को यह समझना होगा कि कबूतरों को दाना डालना एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य संकट है।”
उद्योग मंत्री उदय सामंत, जो उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से जवाब दे रहे थे, ने बताया कि वर्तमान में मुंबई में 51 कबूतर खाने सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि बीएमसी को निर्देश दिया गया है कि वह एक महीने के भीतर जनजागरूकता अभियान चलाए, और फिर इन सभी कबूतर खानों को बंद किया जाए।
सामंत ने कहा, “कबूतरों को दाना खिलाना हानिरहित या आध्यात्मिक कार्य नहीं है, बल्कि यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि गिरगांव चौपाटी जैसे इलाकों में कबूतर पिज्जा और बर्गर जैसे जूठन पर भी झपटते देखे गए हैं, जो उनके लिए भी अस्वास्थ्यकर है।
सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि इससे पहले भी दादर का प्रसिद्ध कबूतर खाना अस्थायी रूप से बंद किया गया था, लेकिन नागरिकों द्वारा बार-बार दाना डालने की वजह से यह दोबारा शुरू हो गया।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने लिखित उत्तर में बताया कि सांताक्रूज ईस्ट और दौलत नगर के अवैध कबूतर खाने पहले ही हटाए जा चुके हैं, और वहां अब ट्रैफिक आइलैंड और मियावाकी गार्डन बनाए गए हैं।
सरकार और बीएमसी ने नागरिकों से इस फैसले में सहयोग करने की अपील की है, ताकि आने वाले वर्षों में श्वसन रोगों और गंदगी की समस्या को कम किया जा सके।
यह आदेश मुंबई में सार्वजनिक स्वास्थ्य और शहरी स्वच्छता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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